महामारी से मिले बुरे अनुभवों को भूलकर नववर्ष का खुली बाँहों से स्वागत करने के लिए पीआर 24×7 ने मनाया फेमिली डे

इंदौर, मध्यप्रदेश। लगभग एक साल पूरा हो चला है, जब कोरोना मेहमान बनकर देश-दुनिया में आया था। यह बात और है कि अब अपनी धाक जमाकर मेजबानी कर रहा है। एक छोटे से वायरस ने सारी दुनिया को घरों में महीनों के लिए कैद कर दिया। यह समय, जो खाली गुमसुम सा बिता दिया, अब कभी लौटकर नहीं आएगा।

इस साल में बहुत से ऐसे कार्य अधूरे रह गए, जो महामारी के दौरान पूरे न हो सके। इस बुरे समय को भूलकर आगे बढ़ने और नए साल का खुली बाँहों से स्वागत करने के लिए भारत की प्रमुख पीआर कंपनी PR 24×7 (पीआर 24×7) ने जाते साल में यानि दिसंबर में एक इवेंट ऑर्गेनाइज किया, जिसे पूर्ण रूप से एम्प्लॉयीज के परिवार को समर्पित किया गया।

PR 24×7 के फाउंडर अतुल मलिकराम बताते हैं कि कोरोना ने हमें अपनी जिंदगी से लगभग एक साल पीछे कर दिया है। इस साल ने हमें बेहद अच्छे और बुरे अनुभव दिए हैं, जिन्हें चाहकर भी भूल पाना बेहद मुश्किल है। न जाने कितने ही लोग ऐसे हैं, जो लॉकडाउन खत्म हो जाने के बाद भी आज तक बाहर जाने में कतरा रहे हैं।

उन्हें ‘एक उजियारा फिर आएगा’ अवधारणा के साथ एक बार फिर से जिंदगी का मोल समझने और बुरे समय को भूलकर अच्छे समय का स्वागत करने के लिए कंपनी ने इवेंट ऑर्गेनाइज किया, जो प्रत्यक्ष रूप से परिवार के सदस्यों को समर्पित किया गया, जिसे फेमिली डे सेलिब्रेशन के नाम से सम्बोधित किया गया।

यहाँ तक कि इवेंट में एक्टिविटीज की थीम भी 1960 से 1990 के बीच की रखी गई। सभी एक्टिविटीज में इन्हीं वर्षों के गानों का चयन किया गया। फेमिली मेंबर्स के उत्साह को दोगुना करने के लिए एक्टिविटीज के अलावा कई क्विज रखी गईं, जिसमें सभी ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और खूब एन्जॉय किया।

पूरे साल लगन से कार्य करने वाले एम्प्लॉयीज को प्रत्येक वर्ष कंपनी द्वारा सम्मानित किया जाता है। लेकिन हर वर्ष से अलग इस बार इन एम्प्लॉयीज को बेहद अलग अवॉर्ड टाइटल से सम्मानित किया गया। इन अवॉर्ड्स के नाम इस प्रकार हैं: ‘द यस आई कैन’, ‘फोकस ऑन द फ्यूचर अवॉर्ड’, ‘मोस्ट इम्प्रूव्ड परफॉर्मर अवॉर्ड’, ‘द अल्टीमेट कंट्रीब्यूटर अवॉर्ड’, ‘अनमैच्ड डेडिकेशन अवॉर्ड’, ‘सैल्यूट टू रॉयल्टी अवॉर्ड’, ‘द्रोणाचार्य अवॉर्ड’ और ‘द आयरन पिलर अवॉर्ड’। एम्प्लॉयीज के मन की खुशी में चार चाँद लगाने के लिए ये सभी अवॉर्ड्स उनके पेरेंट्स से दिलवाए गए। पेरेंट्स भी अपने बच्चों के साथ इस अनुभव को जीकर गदगद हो गए।

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